आज है बैकुंठ चतुर्दशी, ऐसे करें पूजा

आप सभी को बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी कहते हैं और कहते हैं कि इस दिन बैकुंठाधिपति भगवान विष्णु की पूजा का विधान है. आप सभी को बता दें कि इस बार यह त्यौहार 22 नवंबर को यानी आज है. वहीं इसे लेकर ऐसा माना जाता है कि चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु सृष्टि का भार भगवान शंकर को सौंप देते हैं और इन चार मासों में सृष्टि का संचालन शिव ही करते हैं. वहीं चार महीने सोने के बाद देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु जाग जाते हैं और बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शंकर सृष्टि का भार पुन: भगवान विष्णु को सौंप देते हैं. आइए जानते हैं किस विधि से करते हैं बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा.

बैकुंठ चतुर्दशी की पूजा - कहा जाता है इस दिन सुबह स्नान आदि से निपटकर दिनभर व्रत रखना चाहिए और रात में भगवान विष्णु की कमल के फूलों से पूजा करना चाहिए, इसके बाद भगवान शंकर की भी पूजा अनिवार्य रूप से करनी चाहिए और फिर पूजा में इस मंत्र का जाप करना चाहिए-

विना यो हरिपूजां तु कुर्याद् रुद्रस्य चार्चनम्। वृथा तस्य भवेत्पूजा सत्यमेतद्वचो मम।।

वहीं रात भर पूजा करने के बाद दूसरे दिन यानी कार्तिक पूर्णिमा 23 नवंबर, शुक्रवार को शिवजी का पुन: पूजन कर ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए और फिर स्वयं भोजन करना चाहिए. इसी के साथ आपको बता दें कि बैकुंठ चतुर्दशी का यह व्रत शैवों व वैष्णवों की पारस्परिक एकता एकता का प्रतीक माना जाता है.

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