पुलिस अधिकारी को 10 साल बाद मिली बहन, बन चुकी थी नक्सली

रायपुर : यह फिल्मी कहानी नहीं है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी अंचल, जहां नक्सलवाद नासूर बन चुका है। नक्सलवाद के खिलाफ वहां जो प्रयोग होते हैं, उससे कई परिवार बिछड़ जाते हैं। कुछ परिवार खुशनसीब भी होते हैं। यह सलवा जुडूम के कारण एक बचपन में बिछड़े भाई-बहनों के 10 साल बाद फिर से मिलने की सच्ची घटना है। इस कहानी में भाई विशेष पुलिस अधिकारी (एसपीओ) बन जाता है और बहन नक्सली गुट में शामिल हो जाती है। कहानी के अंत में भाई 10 साल बाद अपनी बहन को ढूंढ़कर उसका आत्मसमर्पण कराने में सफल हो जाता है।

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर के एक गांव कोडोली को सलवा जुडूम आंदोलन के दौरान खाली कराया गया। उसी में भाई-बहन बिछुड़ गए। कुछ साल बाद भाई अनिल कुंजाम एसपीओ बन गया। अनिल ने बताया, "सलवा जुडूम के चलते मेरी दीदी शांति का पता नहीं चला, जबकि दोनों बड़ी बहनों की शादी हो गई थी।" वर्ष 2009 में अनिल को छत्तीसगढ़ सुरक्षा बल (सीएएफ) की 16वीं बटालियन में नौकरी मिल गई और वह लगातार अपनी दीदी शांति का पता लगाने की कोशिश करता रहा।

बाद में उसे पता चला है कि उसकी बहन शांति खतरनाक नक्सली के तौर पर चर्चित है और उस पर पांच लाख रुपये का इनाम भी घोषित है। शांति की मानें तो जंगलों में उसे घरवालों की खूब याद आती थी, पर कंधे में बंदूक लटकाकर दिन-रात जंगलों की खाक छानते हुए उसका एक ही लक्ष्य था- समाज को बदलना। शांति बताती है कि अक्टूबर 2014 में संगठन से छुट्टी लेकर वह अपनी बहन के घर मोपलनार पहुंची थी।

शाम को भाई अनिल भी वहां पहुंच गए। भाई ने बहन को जंगल छोड़कर लौट आने को कहा और वह मान भी गई। बस्तर के आईजी एस.आर.पी. कल्लूरी ने कहा कि शांति और अनिल की पूरी कहानी फिल्मों जैसी है। अनिल के कहने पर शांति ने पिछले साल 12 अक्टूबर को आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण के बाद शांति को पुलिस आरक्षक का पद दिया गया है। अब शांति अपने भाई और भाभी के साथ शांतिपूर्वक रह रही है।

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