"वाह रे जमाना" वाह रे जमाने तेरी हद हो गई बीवी के आगे माँ रद्द हो गई बड़ी मेहनत से जिसने पाल आज वो मोहताज हो गई और कल की छोकरी तेरी सरताज हो गई बीवी हमदर्द और माँ सरदर्द हो गई वाह रे जमाने तेरी हद हो गई पेट पर सुलाने वाली पैरों में सो रही बीवी के लिए लिम्का माँ पानी को रो रही सुनता नहीं कोई वो आवाज देते सो गई वाह रे जमाने तेरी हद हो गई माँ मॉजती बर्तन वो सजती संवरती है अभी निपटी ना बुढ़िया तू उस पर बरसती है अरे दुनिया को आई मौत तेरी कहाँ गुम हो गई वाह रे जमाने तेरी हद हो गई अरे जिसकी कोख में पला अब उसकी छाया बुरी लगती बैठ होण्डा पे महबूबा कन्धे पर हाथ जो रखती वो यादें अतीत की वो मोहब्बतें माँ की, सब रद्द हो गई वाह रे जमाने तेरी हद हो गई बेबस हुई माँ अब दिए टुकड़ो पर पलती है अतीत को याद कर तेरा प्यार पाने को मचलती है अरे मुसीबत जिसने उठाई वो खुद मुसीबत हो गई वाह रे जमाने तेरी हद हो गई मां तो जन्नत का फूल है प्यार करना उसका उसूल है दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है मां की हर दुआ कबूल है मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है मां के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है