PM मोदी सरकार के नियम लाखों कर्मचारियों पर पड़ रहे भारी

नरेंद्र मोदी सरकार विदेशी निवेशकों को लुभाने के साथ-साथ वें गरीबों की मदद करने का पूर्ण रूप से प्रयास  कर रहे है, लेकिन फाइनैंस बिल के एक अजीब से नियम से उसके सभी प्रयासों को नुकसान पहुंच सकता है। इस नियम में लाखों कर्मचारियों के रिटायरमेंट की बचत पर इनकम टैक्स लगाए जाने का प्रावधान है भले ही वह बमुश्किल 2120 रुपए की ही रिटायरमेंट सेविंग करते हों । फिलहाल यदि कोई व्यक्ति साल में 2.5 लाख रुपए या उससे अधिक कमाता हो तो उसे आयकर देना होता है। 1 जून से जिस कर्मचारी की रिटायरमेंट सेविंग साल में 30 हजार से ज्यादा है, अगर वह पांच साल पूरा होने से पहले अपना प्रविडेंट निकलवाता है, तो उस पर 10.3 फीसदी टैक्स या अधिकतम 30.6 मार्जिनल रेट का भुगतान करना होगा।

नए सेक्शन 192ए के अनुसार, जिन कर्मचारियों के पास करदाताओं की पहचान के लिए बना पैन कार्ड नहीं है, उनके प्रविडेंट फंड से टैक्स अधिकतम दर से काटा जाएगा। इतना ही नहीं अधिक बचत और इनकम टैक्स का भुगतान करने वाले कर्मचारियों को भी अपने वे रिटर्न दोबारा फाइल करने होंगे जहां उन्होंने ईपीएफ कॉन्ट्रीब्यूशन के लिए क्लेम किया था। पीएफ ऑफिस के अधिकारियों का कहना है कि ईपीएफ ऑर्गनाइजेशन के 90 फीसदी यानी करीब 8.5 करोड़ लोगों के पास पैन कार्ड नहीं है। ऐसे में उन्हें अपनी बचत पर 'हद से ज्यादा और नाजायज' तौर पर टैक्स का भुगतान करना होगा। ईपीएफओ बोर्ड के अध्यक्ष और रोजगार मंत्री बालेंद्रु दत्राये ने पिछले महीने वित्त मंत्रालय के समक्ष इस मसले को उठाया था।

कोई भी कंपनी जिसमें 20 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं के लिए, महीने में 15 हजार तक कमाने वाले सभी कर्मचारियों का ईपीएफ अकाउंट खुलवाना जरूरी है। कानून के मुताबिक कर्मचारी के वेतन का 24 फीसदी उसके पीएफ अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है ताकि बुढ़ापे में उसे सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा दी जा सके। फाइनैंस बिल में प्रस्तावित इस नए नियम से जो कर्मचारी 59 महीनों तक हर महीने में सिर्फ 508 रुपए ही ईपीएफ में भागीदारी करता है, को भी कर का भुगतान करना होगा। अगर आपके पास पैन कार्ड नहीं है और आप महीने में 2120 रुपए या इससे अधिक की बचत करते हैं तो आप पर 30.9 फीसदी तक का कर लग सकता है।

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