प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश वासियों को 'वैशाखी' पर्व की दी शुभकामनाए !

अनेकता में एकता यही हमारे देश की पहचान है हमारे देश में सभी त्यौहार भाईचारे व आपसी सद्भावना के साथ पूरे हर्षोउल्लास के साथ मनाया जाता है. आज भी पूरे देश में बैसाखी त्यौहार हर्ष के साथ मनाया जा रहा है .बैसाखी एक राष्ट्रीय त्यौहार है. इसे देश के भिन्न- भिन्न भागों में रहने वाले सभी धर्मपंथ के लोग अलग-अलग तरीके से मनाते हैं. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार बैसाखी पर्व हर साल 13 अप्रैल को मनाया जाता है. हालांकि कभी-कभी 12-13 वर्ष में यह त्यौहार 14 तारीख को भी आ जाता है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश वासियों को इस पर्व की शुभकामनाए दी हैं.

बैसाखी नाम वैशाख से बना है. रंग-रंगीला और छबीला पर्व बैसाखी अप्रैल माह के 13 या 14 तारीख को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करता है, तब यह पर्व मनाया जाता है. इसे खेती का पर्व भी कहा जाता है. इसी दिन, 13 अप्रैल 1699 को दसवें गुरु गोविंद सिंहजी ने खालसा पंथ की स्थापना की थी सिख इस त्यौहार को उनके सामूहिक जन्मदिवस के रूप में मनाते हैं. 

वहीँ हिंदू इस दिन मां गंगा के अवतरण के रूप में मनाते हैं. माना जाता है कि इस दिन मां गंगा धरती पर उतरी थीं. केरल में यह त्यौहार 'विशु' के नाम से जाना जाता है. केरल में इस दिन लोग लोग घरों में 'विशु कानी' सजाते हैं जिसमें फूल, फल, अनाज, वस्त्र, सोना पिरोकर सजाया जाता है. 

पंजाब और हरियाणा में लोग आग जलाते हैं और उसके चारों ओर भांगड़ा और गिद्दा करते हैं. पूरे देश में श्रद्धालु गुरुद्वारों में अरदास के लिए इकट्ठे होते हैं. दूध और जल से प्रतीकात्मक स्नान करवाने के बाद गुरु ग्रंथ साहिब को तख्त पर बैठाया जाता है। इसके बाद पंच प्यारे 'पंचबानी' गाते हैं. दिन में अरदास के बाद गुरु को कड़ा प्रसाद का भोग लगाया जाता है.

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