मप्र बनाएगा नई फसल बीमा योजना

भोपाल (आईएएनएस) : मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने साफ कर दिया है कि वे किसानों की न्यूनतम आय तय किए जाने के पक्ष में हैं, केंद्रीय मंत्री राधा मोहन सिंह की मौजूदगी में उन्होंने यह भी कह दिया कि राज्य सरकार किसानों की न्यूनतम आमदनी तय करने वाली फसल बीमा योजना बनाएगी, भले ही वह प्रायोगिक क्यों न हो। राजधानी भोपाल में फसल बीमा पर चल रही दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन मौके पर मंगलवार को चौहान ने कहा कि बीमा कंपनियां लाभ कमाने आती हैं, अगर उन्हें लाभ न हो तो वे यह धंधा करें ही क्यों। उन्होंने आगे कहा कि बीमा के मामले में कंपनियों की बजाय सरकार और किसान के बीच सीधा नाता हो जाए तो किसान को लाभ होगा। किसान से न्यूनतम प्रीमियम लिया जाए और केंद्र व राज्य सरकारें अपना हिस्सा मिलाएं तो किसानों को न्यूनतम आमदनी मिल सकती है।

चौहान ने आगे कहा कि फसल बीमा योजना में सिर्फ नुकसान का प्रावधान नहीं होना चाहिए, बल्कि दाम में गिरावट आने पर किसान को लाभ मिले, ऐसे प्रावधान किए जाएं। एक एकड़ की अधिकतम और न्यूनतम पैदावार के औसत के आधार पर पैदावार तय की जाए, अगर उससे कम पैदावार होती है तो बीमा के जरिए किसान की आमदनी की भरपाई की जाए। उन्होंने बीमा के मॉडल में बदलाव पर जोर देते हुए कहा कि कृषि बीमा के क्षेत्र में ईल्ड मॉडल न होकर राजस्व वाला मॉडल अपनाया जाना चाहिए, साथ ही बीमा कराने वाले किसान को प्रीमियम देने के बाद किसी भी तरह का दावा न करने की स्थिति में न्यूनतम बोनस का भी प्रावधान हो, ऐसा होने पर किसान का बीमा की प्रति लगाव बढ़ेगा।

चौहान ने खेती को देश की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक बताते हुए कहा कि कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार के काल में मंदी आई थी, मगर मध्य प्रदेश पर उसका ज्यादा असर नहीं हुआ था, क्योंकि यहां के किसान ने मेहनत कर भरपूर पैदावार की थी, इससे बाजार भी चले और सरकार को राजस्व भी मिला। इसलिए मेक इन इंडिया जरूरी है, इसके साथ खेती भी प्राथमिकता में हो तभी काम चलेगा। उनका सूत्र नहीं बल्कि मंत्र है खेती को फायदे का धंधा बनाना। इसके लिए जरूरी है किसान को सुविधा देना और उनकी सरकार यह कर रही है। वर्तमान फसल बीमा पर सवाल उठाते हुए चौहान ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने संपूर्ण विचार कर बीमा येाजना नहीं बनाई थी, किसान उसके केंद्र में था ही नहीं।

किसान की जब फसल नष्ट हो जाती है तो निराश हो जाता है, उसे कुछ नहीं सूझता और वह जीवन समाप्त करने जैसा कदम उठा लेता है। चौहान ने आगे कहा कि वे तो चाहते हैं कि राज्य में किसान कल्याण कोष बने, जिसमें तय राशि हर वर्ष किसानों के हित के लिए उसमें डाली जाए और जब किसी तरह की विपत्ति आए तो किसानों को उसी कोष से मदद मुहैया कराई जाए। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने बीते वर्ष किसानों को लगभग 12 हजार करोड़ रुपये की मदद दी है।

Related News