सावन अधिक मास की पूर्णिमा पर इस पूजा-विधि और आरती से करें भगवान विष्णु और माँ लक्ष्मी को प्रसन्न

1 अगस्त 2023 को सावन अधिक मास की पूर्णिमा पड़ रही है। इस दिन प्रभु श्री विष्णु, मां लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा-अर्चना का खास महत्व है। इस विशेष मौके पर स्नान, दान और शुभ कार्यों से घर में सुख-शांति आती है। स्नान एवं दान से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं। साथ ही मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करने धन और आरोग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पंचांग के मुताबिक, 1 अगस्त 2023 को मंगलवार के दिन प्रातः 3 बजकर 51 मिनट से सावन की अधिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी तथा देर रात 12 बजकर 1 मिनट पर समाप्ति होगी। इस अवसर पर किए गए दान-पुण्य के शुभ कार्यों से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है।

पूर्णिमा की पूजा विधि:- प्रातः सूर्योदय से पहले उठ जाएं। स्नान करें। अगर संभव हो तो गंगा नदी में स्नान करने के लिए जा सकते हैं। सूर्य देव को जल अर्पित करें तथा सूर्य के बीज मंत्र 'ऊँ घृणि: सूर्याय नम:' का जाप करें।

पूजा-विधि:- एक साफ चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर प्रभु श्री विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें और उन्हें धूप, दीप और नेवैद्य अर्पित करें। प्रभु श्री विष्णु की प्रार्थना करें तथा उनके मंत्रों का जाप करें। इसके साथ ही श्रद्धा के साथ सत्यनारायण व्रत रखने का संकल्प लें। शाम को विष्णुजी की पूजा करते वक़्त उनके सामने पानी का कलश रखें। उन्हें तुलसी का पत्ता, पंचामृत, केला एवं शुद्ध घी में पंजीरी बनाकर अर्पित करें। फिर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें तथा आरती उतारें। पूजा के पश्चात् परिवार के लोगों को प्रसाद बांटे और खुद भी खाएं। पूर्णिमा के दिन दान-पुण्य करना ना भूलें।

श्री विष्णु जी की आरती:- ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे। भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥ जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥ मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी। तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥ तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥ पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥ तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥ दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥ विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥ तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा। तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥ जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥

मां लक्ष्मी की आरती:- लक्ष्मी जी की आरती ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता तुमको निशदिन सेवत मैया जी को निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता ।।ॐ जय लक्ष्मी माता।। उमा रमा ब्रह्माणी तुम ही जगमाता मैया तुम ही जगमाता सूर्य चन्द्रमा ध्यावत नारद ऋषि गाता ।।ॐ जय लक्ष्मी माता।। दुर्गा रूप निरंजनी सुख सम्पत्ति दाता मैया सुख सम्पत्ति दाता जो कोई तुमको ध्यावत ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ।।ॐ जय लक्ष्मी माता।। तुम पाताल निवासिनि तुम ही शुभदाता मैया तुम ही शुभदाता कर्मप्रभावप्रकाशिनी भवनिधि की त्राता ।।ॐ जय लक्ष्मी माता।। जिस घर में तुम रहती सब सद्गुण आता मैया सब सद्गुण आता सब सम्भव हो जाता मन नहीं घबराता ।।ॐ जय लक्ष्मी माता।। तुम बिन यज्ञ न होते वस्त्र न कोई पाता मैया वस्त्र न कोई पाता खान पान का वैभव सब तुमसे आता ।।ॐ जय लक्ष्मी माता।। शुभ गुण मन्दिर सुन्दर क्षीरोदधि जाता मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता ।।ॐ जय लक्ष्मी माता।। महालक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता मैया जो कोई नर गाता उर आनन्द समाता पाप उतर जाता ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता तुमको निशदिन सेवत हरि विष्णु विधाता ।।ॐ जय लक्ष्मी माता।। ।। मैया जय लक्ष्मी माता।।

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