तो मर जाता नशा करते-करते

बॉलीवुड और फिल्मे दोनों का नाता बहुत पुराना है. यहाँ सिक्का उसी का चलता है जिसकी आवाज में नशा और कलाकारी में दम होता है. जी हाँ दर्शक भी उसी कलाकार को देखना पसंद करते है जो उनकी हर उम्मीद पर खरा उतरना जानता है. ऐसे ही कई कलाकार फिल्म दुनिया में मौजूद है जिनके नाम सुनने मात्र से ही दर्शकों की भीड़ लग जाती है. इक बगल में चांद होगा इक बगल में रोटियां...हम चांद पर रोटी की चादर डालकर सो जाएंगे...इन गीतों के लेखक और चर्चित थिएटर-फिल्म अभिनेता पीयूष मिश्रा ने अपने दिल के राज खोले हैं।

गैंग्स ऑफ वासेपुर फेम पीयूष मिश्रा ने कहा कि दिल्ली से मुंबई नहीं जाता तो नशा करते-करते मर जाता। पीयूष मिश्रा शनिवार को पटना के तारामंडल में सुधी फिल्म प्रेमियों से रू-ब-रू थे। श्रोताओं के साथ उन्होंने अपने थिएटर और फिल्मी सफर और संघर्ष को साझा किया।

उन्होंने बताया कि उनसे कमजोर कलाकार मुंबई में फिल्मों में जम चुके थे और पैसे भी कमा रहे थे। पर उन्हें थिएटर से केवल मुफलिसी ही मिल रही थी। पत्नी और बच्चों की परवरिश थिएटर की बदौलत संभव नहीं हो पा रहा था। बैंक बैलेंस तो जीरो था। पर मुंबई आने के बाद काम भी मिला और पैसे भी। आज अपनी गाड़ी भी है। मैं भी खुश हूं और पत्नी -बच्चे भी।

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