बिहार की थाली से दाल हुई नदारद

पटना : इन दिनों बिहार में सभी राजनीतिक दलों के नेता जातिवाद और विकासवाद की बात कर रहे हैं लेकिन यहां आम आदमी को जाति से ज़्यादा चिंता तो इनकी थाली की है। जी हां, थाली की। बढ़ती महंगाई ने बिहारवासियों को भी हलकान कर दिया है। यहां दालों के दाम आसमान छू रहे हैं। हालात ये हैं कि रसोई में महिलाऐं इस पसोपेश में हैं कि आखिर तड़का लगाऐं भी तो लगाऐं किसमें और नेता हैं कि जातिगत समीकरणों में ही लगे हुए हैं। लोग इस उम्मीद में वोट देने की तैयारी में हैं कि राज्य का भावी मुख्यमंत्री उनकी थाली में दाल की कटोरी जरूर फिट बैठा देगा।

जी हां, देशभर में बढ़ती महंगाई के साथ बिहार में भी महंगाई का दौर है। हालात ये हैं कि यहां दालों के दाम आसमान छू रहे हैं। स्थिति यह है कि मसूर दाल जहां 80 रूपए प्रतिकिलो से 84 रूपए प्रतिकिलो के दाम पर पहुंच गई है वहीं चना दाल 60 रूपए प्रतिकिलो पर पहुंच गई है। अरहर दाल 110 रूपए प्रतिकिलो, उड़द दाल 100 रूपए प्रति किलो और मूंग दाल 110 रूपए प्रतिकिलो के दाम पर उपलब्ध है। ऐसे में आम आदमी परेशान है कि आखिर दाल को अपने बजट में कैसे बिठाऐं। यही नहीं दालों के बढ़ते दामों ने रसोई का ज़ायका ही बिगाड़ दिया है। इससे गृहिणियां अधिक चिंतित हैं।

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