शांति और सद्भाव के प्रतीक गुरू नानक देव

सिखों के गुरू, गुरू नानक देव की आज 15 अप्रैल को जन्म जयंती है। उन्होंने दुनिया को जहां शांति और सद्भाव की प्रेरणा दी वहीं वे उन रूढि़वादी परंपराओं के भी घोर विरोधी रहे, जिसके कारण लोग अंधविश्वास में जकड़े होकर अपने जीवन स्तर को उंचा उठाने से वंचित रहते थे। गुरू नानक देव शांति और सद्भावना के प्रतीक थे, उन्होंने जीवन भर लोगों का कल्याण कर समाज का विकास किया। 
 
उनका जन्म 15 अप्रैल 1469 को तलवंडी नगर के प्रधान पटवारी मेहता कालूराय बेदी के यहां हुआ था। कालूराय तलवंडी के शासक राम दुलार के प्रधान पटवारी होकर उनके विश्वासपात्र लोगों में से एक थे। जिस समय गुरू नानक देव ने जन्म लिया उस वक्त मुगल बादशाह बाबर का शासन था, उसके शासनकाल में न केवल हिन्दूओं को प्रताडित किया जाता था वहीं धार्मिक आस्थाओं को भी खंडित कर हिन्दूओं को जबरन मुस्लिम बनने के लिये विवश किया जाता था। 
 
नानक बचपन से ही एकांतप्रिय थे लेकिन साहस उनमें कूट-कूटकर भरा हुआ था। जिस तरह से उनमें बचपन से विद्वता दिखाई दी, उन्हें शिक्षित करने वालों ने भगवान का अवतार बताया। अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करते हुये गुरू नानक देव ने हिन्दूओं की रक्षा के लिये बीड़ा उठाया था। गुरू नानक देव के जीवन प्रसंग से जुड़ी अनेक घटनायें है, जो आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। उनकी आज जन्म जयंती पर उन्हें शत-शत नमन एवं पुष्पांजलि अर्पित है।

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