देशभक्ति नैतिकता साहस और दया की मिसाल लालबहादुर शास्त्री

देश भक्त सौम्य और नैतिक गुणों की खान पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का आज 52 वा पुण्य स्मरण है. उनसे जुडी कुछ खास यादें .....

शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 2 अक्टूबर, 1904 को शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था. ताशकंद समझौते में घमंडी जनरल अयूब खान को सबक सिखाया . उनके कुशल नेतृत्व में भारत ने 1965 के युद्ध में पाकिस्तान हराया. संपत्ति के नाम सिर्फ धोती-कुर्ता और कुछ किताबें स्वतंत्रता की लड़ाई में 9 साल तक जेल में रहे असहयोग आंदोलन के लिए पहली बार वह 17 साल की उम्र में जेल गए सविनय अवज्ञा आंदोलन के लिए 1930 में ढाई साल के लिए जेल गए. 1940 और फिर 1941 से लेकर 1946 के बीच भी वह जेल में रहे है शास्त्री जी जात-पात के सख्त खिलाफ थे. तभी उन्होंने अपने नाम के पीछे सरनेम नहीं लगाया. शास्त्री की उपाधि उनको काशी विद्यापीठ से पढ़ाई के बाद मिली थी. 1964 में जब वह प्रधानमंत्री बने थे 1965 में देश में भयंकर सूखा पड़ा तब उन्होंने हमें 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया 11 जनवरी 1966 को हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई है. हालांकि इस पर अभी भी संदेह बरकरार है. वह पहले व्यक्ति थे, जिन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से नवाजा गया था

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