हाफिज सईद की नज़रबंदी समाप्त करने की अपील पर असहमति

लाहौर। पाकिस्तान के पंजाब राज्य की सरकार द्वारा जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद की नज़रबंदी को समाप्त करने की अपील को, नकार दिया गया है। इस मामले में पाकिस्तान के गृह विभाग ने लाहौर उच्च न्यायालय में कहा कि हाफिज सईद के कृत्यों से कानून प्रवर्तक और खुफिया एजेंसियों की आशंकाओं की पुष्टि होती है अगर उसे रिहा किया जाता है तो उसकी गतिविधियों से कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।

व्यापक जनहित को देखते हुए सईद को नजरबंदी में रखने की सिफारिश की गयी है। गौरतलब है कि हाफिज सईद 30 जनवरी से लाहौर में नजरबंद है। हाफिज सईद पर पाकिस्तान में आतंकवाद रोधी अधिनियम की चौथी अनुसूची के तहत कार्रवाई की गई है। हाफिज पर कार्रवाई को लेकर भारत और अमेरिका ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया था।

दूसरी ओर गृहविभाग ने हाफिज की नज़र बंदी को न हटाने की जो बात कही है उसके समर्थन में विभाग द्वारा कहा गया है कि हाफिज सईद को छोड़ने से कानून व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। न्यायालय को गृह विभाग ने दो पन्नों में अपना उत्तर भेजा है। हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात उद दावा और फलाह-ए-इंसानियत की असंगत गतिविधियों का उल्लेख भी किया गया है।

इस मामले में न्यायमूर्ति मजाहिर अली नकवी ने सुनवाई की, मगर अब अगली सुनवाई 15 सितंबर तक स्थगित कर दी। पाकिस्तान की सरकार ने न्यायालय में कहा कि हाफिज सईद के विरूद्ध अशांति फैलाने के प्रर्याप्त सबूत हैं। उल्लेखनीय है कि आतंकी हाफिज सईद मुंबई के 26/11 में हुए आतंकी हमले का मास्टरमाईंड माना जाता है। उस पर भारत के विरूद्ध कई आतंकी गतिविधियों को संचालित करने का आरोप है।

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