राजनीतिक दबाव के आगे आतंक को ढोने पर मजबूर पाकिस्तान

भारत और पाकिस्तान के बीच उपजे तनाव को लेकर समूचा विश्व गंभीर हो गया। हालांकि विश्व समुदाय भारत के ही साथ है। हर ओर आतंकवाद का विरोध किया जा रहा है। आतंकी भारतीय सीमाओं की ओर बढ़ रहे हैं और भारतीय सेना के जवानों पर हमले कर रहे हैं लेकिन भारतीय सेना भी अपना जवाब पूर दम के साथ दे रही है। एलओसी पर पाकिस्तान की ओर से फायरिंग की जा रही है।

हालांकि पाकिस्तान केवल परमाणु हमले की धमकी दे रहा है। मगर उसके अंदरूनी हालात बेहाल हैं। संभावना तो यह भी है कि भारत से पाकिस्तान का यह छद्म युद्ध वहां पर सत्ता परिवर्तन का कारक है। यदि नवाज शरीफ ने भारत के खिलाफ कड़वे बोल नहीं बोले और पाकिस्तान से आतंकियों को भारत का रास्ता नहीं दिया तो उनकी सरकार तक गिर सकती है। दरअसल पाकिस्तान सेना खुफिया एजेंसी आईएसआई के समर्थन से काम करती है और सरकार को इन दोनों का दबाव झेलना पड़ता है। वहां पर सेना सत्ता पर हावी रही है।

ऐसे में आतंकवाद का समर्थन करने वाली आईएसआई की बात सरकार को माननी पड़ रही है और आतंकवाद का समर्थन कर भारत पर हमले करने पड़ रहे हैं। पाकिस्तान के हालात जो भी हों लेकिन अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वह आतंकवाद का पौषक सिद्ध हो गया है और अपने बेहद अच्छे और सहिष्णु पड़ोसी भारत से उसने दुश्मनी मोल ले ली है। पाकिस्तान में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामा पेपर लीक मामले का सामना भी करना पड़ रहा है।

वसीम अकरम जैसे विरोधी नेता पाकिस्तान असेंबली में नवाज को घेरने की तैयारी में हैं। हालांकि भारत के खिलाफ सभी एक स्वर में बोल रहे हैं। मगर पाकिस्तान अपनी करतूतों से अब अलग-थलग हो गया है और आतंकवाद को ढोने का उसका खेल सभी के सामने आ गया है।

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