पैमानों में बिखरा है ख्याल तेरा

जख्म देकर भी क्यों पूछते हो हाल मेरा? बहुत बेखबर सा है तुमसे ही सवाल तेरा!  गूंजती हैं सिसकियाँ ख्वाब़ की सन्नाटों में, जाम के पैमानों में बिखरा है ख्याल तेरा!

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