Fathers Day Special : पापा करते है सच्चा प्यार

माँ ममता का प्रतीक है. वो हमारे मन में भावनाओ का संचार करती है. हमे जीवन के कोमल और मधुर एहसास देती है. पिता शक्ति का प्रतीक है. वो हमारे जीवन में आत्मविश्वास भरता है और हमे लड़ने की शक्ति देता है जीवन की हर कठिनाई से. माँ का काम जिस तरह वृक्ष में जल का होता है वैसा है सींचने का और पिता उस विशाल वृक्ष की जड़ है जो हमे मजबूती देता है. जड़ के बिना वृक्ष का कोई अाधार नहीं है. हमे जीवन में मजबूती जड़ से मिलती है. जल हमे फलने फूलने में मदद करता है लेकिन हम वृक्ष के जीवन में कठोर जड़ के महत्व को नकार नहीं सकते है.

बचपन में जब भी पैर लड़खड़ाये माँ ने तपाक से पकड़ कर हाथ थाम लिया और गिरने से बचाया. लेकिन पिता ने दूर से गिरते देखा और मुझे खुद से उठने के लायक बनाया. माँ ने ममता दी और पिता ने आत्म विश्वास देकर मुझे परिपूर्ण किया. बचपन में जब साइकिल चलाना सीखा तो पापा ने हौसला देकर कहा देखो में पीछे हु, तुम गिरोगी नहीं. वह पीछे नहीं थे लेकिन फिर भी में गिरी नहीं क्यूंकि मुझे विश्वास था पापा है उनका होना ही एक ताकत था और उस ताकत ने ही हर मुश्किल से लड़ने के काबिल बना दिया.

पापा कभी प्यार नहीं दिखाते है. हम हमेशा उनके गुस्से से डरते है. माँ के पीछे छिप कर कई बार बचने की कोशिश करते है. हर बालमन में पिता का डर होता है.क्यूंकि वो हमे गलत करने से रोकते है. सही राह पर चलना सिखाते है. वो इसे प्यार से नहीं सिखाते क्यूंकि माँ तो अपने आँचल से हमारे ऊपर ममता बरसाती है. अपने क्रोध से वो जीवन का संतुलन दिखाते है. धुप और छाँव. मधुर और कठोर का. संघर्ष और स्नेह का.

माँ हमारे सुख दुःख का सहारा होती है और पिता हमे इस लायक बनाते है की हमे किसी के सहारे की जरुरत नहीं पड़े. वह जीवन में आत्मनिर्भरता लाते है. मुझे सड़क पार करने में हमेशा डर लगता था. तेज रफ़्तार की गाड़िया डरा देती थी लेकिन पापा ने हाथ पकड़ा और सिखाया अगर सड़क पर संभल कर नहीं चलोगी तो टकरा जाओगी. तब ऐसा लगता था की वह मुझे सड़क पार करना सीखा रहे थे लेकिन जब आज अकेले जीवन को देखती हु तो लगता है वो जीवन जीना सीखा रहे थे देखो अगर संभल की नहीं चलोगी तो गिर जाओगी और कभी कभी जरा सी लापरवाही बहुत गहरी चोट दे देती है सड़क पार करने में भी और ज़िन्दगी में भी. आज तक उनकी इस सीख ने मुझे संभाले रखा में गिरी नहीं और जब गिरी तो उठी उतनी ही मजबूती के साथ जो मुझे पापा ने दी थी.

एक स्त्री को हमेशा से त्याग की मूर्ति कहा गया मेने भी माँ और बहिन को अपने परिवार की लिए त्याग करते देखा है. लेकिन में यह नहीं कह सकती की पापा ने उनसे कम त्याग किया है. उन्होंने अपनी ख्वाहिशो को पीछे छोड़ मेरी हर जरुरत पूरी की. अगर हम ध्यान दे तो 500000 हजार कमाने वाले बहुत सारे पिता के पास आज नोकिया का पुराना मॉडल होगा लेकिन उनके बच्चो के हाथ में एंड्राइड फ़ोन सजे होगे.

पिता ने हमेशा त्याग किया.अपने बच्चो को पढ़ाने के लिए माँ-बाप का गाँव छोड़ कर शहर आये. वहा से अपने बच्चो के सपनो को उड़ान देंने की लिए नगर नगर भटके. अपने बच्चो पर हर ख़ुशी लूटा दी और फिर भी वो प्रेम का नहीं कठोरता का प्रतीक बने रहे. लेकिन वो नारियल की तरह है बहार से कठोर और कड़क दिखने वाले लेकिन जब अंदर देखा तो कोमलता ही कोमलता है.अपार प्रेम अपार स्नेह . बस कठोरता के पीछे की कोमलता को ढूँढना तुम्हारा काम है. उस प्यार के बदले प्यार देना भी तुम्हारा काम है. पापा के प्रेम में जितनी सच्चाई है उतनी किसी की प्रेम में नहीं. पिता से मै हु मेरे होने का अस्तित्व है. मुझे गर्व है की मेरे पिता मेरे जीवन की पहले और आखरी इंसान है जिन्होंने मुझसे निस्वार्थ प्रेम किया. बिना किसी चाह के..

Related News