ऑनलाइन परीक्षा है गड़बड़ियों का हल

कोटा : सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई द्वारा आयोजित की गई एआईपीएमटी-2015 को रद्द कर दिया है. परीक्षा को निरस्त करने के साथ ही मेडिकल प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन करने वाले लाखों विद्यार्थियों में फिर से चहल कदमी मच गयी है. इसका प्रभाव देश के 6 लाख 30 हजार से अधिक विद्यार्थी पर हुआ. शिक्षा नगरी कोटा की बात करें तो साल भर यहां तैयारी करने वाले 25 हजार से अधिक विद्यार्थियों ने इस परीक्षा में भाग लिया था. इतना ही नहीं कोटा में  22 परीक्षा केन्द्रों पर 12060 विद्यार्थी का नामांकन किया गया था.  जयपुर में 63 परीक्षा केन्द्रों पर 32500 और अजमेर के परीक्षा केन्द्रों पर 4500 के लगभग विद्यार्थी का नामांकन किया गया था.  राजस्थान में  49 हजार विद्यार्थी परीक्षा के लिए नामांकित किये गए थे.  मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं को लेकर अक्सर ऐसी समस्याओ का सामना करना पड़ जाता है.  ऎसे में अब लम्बे अरसे से चली आ रही पुरानी परीक्षा पद्धति पर सवाल खड़े किये जा रहे है.

परीक्षा का ऑनलाइन होना हुआ आवश्यक 

जानकारों की मानें तो इस तरह की घटनाओं को यदि हम नहीं दोहराना चाहते है तो इसके लिए हमे ऑनलाइन परीक्षा कार्यक्रम की तरफ अपना रुख करना  होगा. प्रदेश में बिट्स पिलानी इंस्टीटयूट द्वारा 2005 से ऑनलाइन एंट्रेंस एग्जाम लिया जा रहा है.  वर्तमान समय में संस्थान दस दिन तक इस  परीक्षा का आयोजन करवाता है और इसमें लगभग दो लाख से अधिक स्टूडेंट्स हिस्सा लेते है.  ठीक इसी प्रकार इस साल एम्स एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा ऑनलाइन आयोजित की गई. इस पपरीक्षा में सर्वाधिक विद्यार्थियों ने भाग लिया. अखिल भारतीय स्तर पर पूर्ण रूप से ऑनलाइन होने वाली यह सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल प्रवेश परीक्षा थी.

क्या है हल विद्यार्थियों के लिए 

चार सप्ताह में एआईपीएमटी की परीक्षा फिर से आयोजित की जायेगी. ऎसे में विद्यार्थियों को एक बार फिर खुद को परीक्षा के लिए तैयार करना होगा. विद्यार्थियों को इस कम समय में चारों विषयों के महत्वपूर्ण बिन्दुओं का दोहरान करना चाहिए. टेस्ट पेपर्स के माध्यम से जल्द दोहरान कर सकते हैं. मैमोरी बेस्ड प्रश्नों का हल लिखने का भी कुछ अभ्यास करना चाहिए.

क्या है शहर के कोचिंग विशेषज्ञों की राय

सिस्टम में बदलाव बेहद आवश्यक - प्रो.विनय पाठक, कुलपति, आरटीयू ने कहा "हम अभी भी ओएमआर और पुराना सिस्टम पर काम कर रहे है.  इसमें परिवर्तन बेहद आवश्यक है.  ऎसा सिस्टम क्यों चलाएं, जिसमें गड़बड़ी की आशंका रहती हो.  पूरी तरह से पारदर्शिता हो, ऑनलाइन एग्जाम के माध्यम से इसका निदान निकाला जा सकता है."

हमें 10 वर्षो से कोई परेशानी नहीं 

प्रो.ए पी सिंह, डीन एडमिशन, बिट्स पिलानी ने बताया की "हम बीते 10 सालो से ऑनलाइन एडमिशन एग्जाम का आयोजन करवा रहे है. मै स्वयं इस बात से अनजान होता हु कि कल कौनसा पेपर या प्रश्न आएगा. सिस्टम में से मानव के हस्तक्षेप से ही गलतियों को रोका जा सकता है."

यह है ऑनलाइन परीक्षा के लाभ 

ऑनलाइन परीक्षा में प्रश्नपत्र की कोडिंग नहीं की जाती है.  ऎसे में कौनसा प्रश्न पत्र किस रोल नम्बर पर जाएगा, इसकी जानकारी मुश्किल है.मानवीय हस्तक्षेप बिल्कुल नहीं होता. आंकलन का माध्यम कम्प्यूटर होता  है. गड़बड़ी की आशंका लगभग नहीं के बराबर होती है. ऑनलाइन परीक्षा के समय यदि इलेक्ट्रिसिटी की समस्या आती है तो पेपर शेष समय के आधार पर ही पुन: शुरू होता है.  पूरे समय पर ही लॉक होता है. ऑनलाइन परीक्षा में जटिल स्तर को देखते हुए बहुत अधिक संख्या में प्रश्न बैंक बनाया जाता है, जिससे पुनरावृति की स्थितियां नहीं आती.

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