दुनियाभर में अधिकतर लोग इस बात से वाकिफ हैं कि कार्तिक महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है और इसी के साथ इस दिन को कुछ लोग देवोत्थान एकादशी, देव उठनी ग्यारस, प्रबोधिनी एकादशी नामों से भी जानते हैं. कहा जाता है कि भगवान विष्णु क्षीर सागर में चार महीने की निंद्रा के बाद इसी दिन जाग जाते हैं और उनके जागने के बाद सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य आरंभ होते हैं इस वजह से यह त्यौहार मनाया जाता है. आप सभी को बता दें कि इस बार देवउठनी ग्यारस 19 नवंबर को है. इस दिन भगवान विष्णु को जगाने के लिए उनकी इस आरती से उनका पूजन करना चाहिए. आइए बताते हैं आरती. ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे। भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥ जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय...॥ मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी। तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी॥ ॐ जय...॥ तुम पूरन परमात्मा, तुम अंतरयामी॥ पारब्रह्म परेमश्वर, तुम सबके स्वामी॥ ॐ जय...॥ तुम करुणा के सागर तुम पालनकर्ता। मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय...॥ तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति। किस विधि मिलूं दयामय! तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय...॥ दीनबंधु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे। अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय...॥ विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा। श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय...॥ तन-मन-धन और संपत्ति, सब कुछ है तेरा। तेरा तुझको अर्पण क्या लागे मेरा॥ ॐ जय...॥ जगदीश्वरजी की आरती जो कोई नर गावे। कहत शिवानंद स्वामी, मनवांछित फल पावे॥ ॐ जय...॥ देवउठनी एकादशी पर इस तुलसी स्तुति से करें माँ को प्रसन्न एकादशी के दिन जरूर रखे इन बातों का ध्यान वरना होगा नुकसान देवउठनी एकादशी पर इस तुलसी स्तुति से करें माँ को प्रसन्न