20 दिनों से ज्यादा नहीं लड़ पायेगी भारतीय सेना

नई दिल्ली : जहाँ एक और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को आगे बढ़ाने के लिए विदेशों के दौरे कर रहे है, वहीँ दूसरी तरफ देश के लिए अपनी जान तक न्यौछावर करने के लिए तैयार रहने वाली सेना के पास युद्ध लड़ने के लिए गोला-बारूद भी मौजूद नहीं है. मामला केवल यहाँ ही ख़त्म नहीं होता है, आपको बता दे कि इसके अलावा सेना का वॉर-रिर्जव भी सिर्फ 50 प्रतिशत ही है. यह सब सामने आया है CAG के द्वारा हाल ही में संसद में प्रस्तुत की गई एक रिपोर्ट के द्वारा.

जी हाँ CAG ने हाल ही में पेश की गई अपनी एक रिपोर्ट में यह बताया है कि युद्ध की किसी भी परिस्थिति में थलसेना के पास कम से कम 40 दिनों के वॉर-रिर्जव की जरूरत होती है लेकिन अभी की स्थिति यह है कि सेना के पास केवल 20 दिनों का ही गोला-बारूद बचा हुआ है. CAG ने यह भी बताया है कि बारूद की इस कमी के कारण सेना की ऑपेरशनल तैयारियों और ट्रैनिग पर भी बहुत ख़राब असर हो रहा है. यही नहीं CAG ने इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) की कार्यशैली पर भी सवाल उठाये.

CAG का कहना है कि जहाँ एक तरफ रक्षा मंत्रालय सेना के लिए पर्याप्त गोला-बारूद के लिए जिम्मेदार है वहीँ ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड इस गोला-बारुद का स्रोत केन्द्र है और सेना को सप्लाई करने के लिए जिम्मेदार है. CAG ने यह भी बताया है कि करीब 7000 करोड़ रूपये का गोला बारूद कई कारणों के चलते खराब अवस्था में पड़ा हुआ है. जब ओएफबी के द्वारा द्वारा गोला-बारूद की आपूर्ति पूरी ना की गई तब रक्षा मंत्रालय ने सेना के लिए गोला-बारूद आयात करने का प्लान बनाया था. लेकिन उसकी प्रक्रिया भी बेहद धीमी साबित हुई और सेना को मात्र 20 प्रतिशत की ही प्राप्ति हुई.

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