नई मिशाल : न खुद खुले में शौच करेंगी और न करने देंगी

बिहारशरीफ/बिहार : एक और जहां देश के बहुत से नेता मीडिया में प्रचार के लिए भले ही स्वच्छता अभियान का सहारा लेकर झाड़ू उठाकर फोटो खिंचवा रहे हों, लेकिन बिहार के नालंदा जिले के एक गांव की महिलाओं ने अभूतपूर्व तरीके से स्वच्छता अभियान चलाकर लोगों के लिए एक नजीर पेश की है, नालंदा जिले के चंडी प्रखंड के अरौत गांव की कुछ महिलाआों ने फैसला लिया है कि न खुद खुले में शौच करेंगी और न करने देंगी। यह बात आपको भले ही आश्चर्यजनक लगे, परंतु यह सत्य है। यहां महिलाओं का एक दल सुबह चार बजे से हाथ में टॉर्च और डंडा लेकर गांव में पहरा भी देता हैं। 
इस अरौत गांव की ये सक्षम महिलाएं न बॉलीवुड की अभिनेत्री विद्या बालन हैं और न ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कार्यकर्ता। लेकिन इन्होंने विद्या बालन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता अभियान और खुले में शौच नहीं करने के निवेदन और स्वच्छता के महत्व को समझा और गांव में इन्होंने 'ग्राम विकास स्वच्छता समिति' का गठन किया और इसके माध्यम से लोगों को जागरूक भी कर रही हैं, इस समिति की सदस्य गिरिजा देवी बताती हैं कि खुले में शौच पर रोक के लिए गांव के सभी चार रास्तों (निकासी द्वार) पर चार-चार के समूह में महिलाएं टॉर्च और डंडे लेकर सुबह-शाम दो-दो घंटे पहरा देती हैं। वह बताती हैं कि इस सोच की रणनीति गांव के सेवानिवृत्त शिक्षक राजनंदन प्रसाद ने बनाई और अब इस दल में 16 महिलाएं हो गई हैं। गिरिजा देवी बताती हैं कि यह अभियान पिछले वर्ष अक्टूबर महीने से प्रारंभ हुआ है जो आज भी बदस्तूर जारी है, अरौत पंचायत के मुखिया जितेन्द्र प्रसाद छोटे ने  बताया कि कुछ दिन पूर्व तक इस गांव की पहचान बजबजाती नालियां और गलियों में कूड़े का ढेर होता था, परंतु अब स्थिति बदल गई है। 
यहां की गलियां साफ -सुथरी हो गई हैं तथा नालियां भी साफ हैं। वह कहते हैं कि जब इस अभियान को यहां प्रारंभ किया गया था, तब महिलाओं को गांव के ही कुछ लोगों द्वारा अपमानित भी होना पड़ा था। परंतु अब गांव के ही लोग इस अभियान का खुलकर समर्थन कर रहे हैं। छोटे हालांकि यह भी कहते हैं कि कई घरों में तो शौचालय का निर्माण हो रहा है, परंतु कई परिवार आर्थिक रूप से कमजोर हैं, जिनके सामने परेशानी आ रही है, इधर, चंडी प्रखंड प्रमुख और माधवपुर गांव निवासी मुकेश कुमार बताते हैं कि समिति में शामिल महिलाओं को ऐसे तो कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती है, परंतु पिछले दिनों हिलसा के अनुमंडल पदाधिकारी ने समिति की सभी महिलाओं को कंबल प्रदान किया था। उन्होंने बताया कि महिलाएं ग्रामीणों की मदद से टॉर्च का खर्च स्वयं वहन करती हैं।

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