पछतावा नहीं है, याकूब को न्याय पाने के पर्याप्त मौके दिए गए थे : अटॉर्नी जनरल

नई दिल्ली: याकूब की फांसी के बाद भारत में इस मुद्दे पर तर्क वितर्क शुरू हो गया है. याकूब की फांसी पर मुकुल रोहतगी जो की भारत के अटॉर्नी जनरल है उनका कहना है की मुझे याकूब की फांसी की इस प्रक्रिया का कोई पछतावा नही है. क्योँकि इस दौरान याकूब मेमन को न्याय पाने के पर्याप्त मौके भी दिए गए तथा उसे जो सजा दी गई वह एक बहुत ही जघन्य अपराध के तहत दी गई. याकूब मेमन को गुरुवार सुबह 6.19 मिनट पर उस समय फांसी दी गई जब आधी रात को चली 90 मिनट की ऐतिहासिक सुनवाई के बाद, सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने याकूब की फांसी की सज़ा पर रोक लगाने से इंकार करते हुए दया याचिका रद्द कर दी।

अटॉर्नी जनरल ने कहा की 'मैं याकूब द्वारा अंतिम समय तक ज़िंदा रहने के लिए किए गए प्रयासों को समझता हूं,  लेकिन मैं मानता हूं कि न्याय की जीत हुई है। आरोपी 1993 से 2013 तक लगातार 20 सालों के लिए देश के कानून से बच रहा था।'' रोहतगी ने कहा की भारत में मौजूदा प्रतिकूल हालातों और भौगोलिक तौर पर अस्थिर पड़ोसियों से घिरे होने के कारण हम पूरी तरह से फांसी की सज़ा पर रोक नही लगा सकते। खबर के अनुसार मुकुल रोहतगी याकूब मेमन के मामले में सरकारी पक्ष के वकील थे। तथा उन्होंने कहा की इस फैसले से न्यायपालिका की जीत हुई है।

 

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