कार्पोरेट जगत को नहीं लुभा रहे मोदी के प्रोजेक्ट

नई दिल्ली : मोदी सरकार के स्वच्छता अभियान और नमामि गंगे प्रोजेक्ट कारपोरेट जगत को कम लुभा रहे हैं, क्योंकि कम्पनियां अपने सीएसआर को इन दोनो प्रोजेक्ट्स पर कम खर्च कर रही है. इसका खुलासा कार्पोरेट अफेयर्स मंत्रालय द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट से हुआ. उल्लेखनीय है कि नये कम्पनी कानून के अनुसार 1 अप्रैल 2014 से सालाना 5 करोड़ रु. से अधिक नेट प्रॉफिट वाली कम्पनी को कुल प्रॉफिट का 2 फीसदी सीएसआर (कार्पोरेट सोशल रेस्पोंस्बिलिटी) पर खर्च करना अनिवार्य है.

यही शर्त 1 हजार करोड़ रु. से ज्यादा सालाना टर्न ओवर और 5 सौ करोड़ के नेट वर्थ वाली कम्पनी पर भी लागू की गई है. कार्पोरेट अफेयर मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार 2014-15 की अवधि में कम्पनियों ने सबसे कम पैसा स्वच्छ भारत कोष गंगा सफाई फंड को दिया गया.

स्वच्छ भारत कोष पर 42.64 करोड़ और गंगा सफाई फंड पर 15.49 करोड़ रुपए खर्च किये गये, जबकि 460 कम्पनियों ने कुल 6337.36 करोड़ रु. खर्च किये गये. कार्पोरेट जगत द्वारा कम खर्च करने का एक कारण इसे वित्तीय वर्ष के उत्तरार्ध में लागू करना भी है.

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