एक साल बाद भी सपने बेचने में लगे हैं मोदी : शरद यादव

नई दिल्ली : केंद्र में सत्ता परिवर्तन का एक साल पूरा होने को है, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जमीनी स्तर पर कोई ठोस उपलब्धि हासिल नहीं कर पाए, एक साल बाद भी वह सपने बेचने में लगे हैं।-यह कहना है विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता शरद यादव का। उन्होंने मोदी सरकार के विकास संबंधी तमाम दावों को नकार दिया है। जनता दल-युनाइटेड (जद-यू) नेता शरद यादव ने एक साक्षात्कार में कहा, "मोदी ने देशवासियों से वादा किया था कि वे लोगों के अच्छे दिन लाएंगे, लेकिन वे इसमें बुरी तरह नाकाम रहे हैं।"

मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर सरकार के प्रदर्शन के बार में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि लोग अभी भी उनके दिखाए सपनों के पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। शरद यादव ने कहा, "समग्रता में देखें तो जमीनी स्तर पर कोई भी प्रभावी कार्य नहीं हो पाया है। मैंने खुद इस सरकार द्वारा किया गया एक भी ऐसा काम नहीं देखा है, जिसके बारे में वह दावा कर सके कि यह उसकी उपलब्धि है।" उन्होंने कहा, "मुद्दा यह है कि इस सरकार के पास पूरा करने या न करने के लिए कोई नीति या कार्यक्रम है भी या नहीं। इस सरकार के पास न तो कोई रोडमैप है, न नीति है और न ही कोई कार्यक्रम। केवल इरादों से गरीबों का भला नहीं होने वाला।" शरद ने कहा, "बिना ठोस नीति तथा कार्यक्रमों के इरादों की क्या कीमत है।

परिणाम तभी आएंगे, जब नीति और उद्देश्य दोनों को मिलाया जाएगा।" छह विपक्षी पार्टियों का विलय कराकर उन्हें 'जनता परिवार' के बैनर तले एकजुट कराने वालों में से एक जद-यू नेता ने कहा कि सरकार ने दो करोड़ अतिरिक्त रोजगार सृजन, प्रत्येक बेघर को घर और हर खेत को पानी देने का वादा किया था। लेकिन इनमें से कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि सरकार को केवल इरादे न जताकर गरीबी दूर करने, रोजगार सृजन तथा संकट में फंसे किसानों व गरीब व्यक्तियों की मदद के लिए एक स्पष्ट रोडमैप के साथ आना चाहिए और अपनी नीतियों को विस्तार से पेश करना चाहिए।

मोदी के विदेश दौरों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, "मोदी हर वक्त विदेश यात्राओं में लीन हैं, लेकिन आज की तारीख में उन देशों से एक भी बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) का प्रस्ताव नहीं आया, जिन देशों का उन्होंने दौरा किया।" शरद ने कहा कि उन्होंने अपने दौरों से विदेश भ्रमण संबंधी व ऐतिहासिक स्थलों के बारे में भारतीय मतदाताओं का सामान्य ज्ञान बढ़ाने के सिवाय किया ही क्या है।

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