नज़रें झुकाना सीख लिया

सब कहते हैं अब उल्फत ने,  नज़रें झुकाना सीख लिया..!  पहले जो नज़र झुकती थी नहीं,उसने शरमाना सीख लिया !! महफ़िल में आते हैं लेकिन,  चेहरे पर घूँघट रखते हैं, पलकों ने उठकर झुकनें की,अब रस्म निभाना सीख लिया !! है खेल निगाहों का उल्फत सब लोग दीवानें हैं इसके, कर तिरछी निगाहें तब उसने,नज़रों का लड़ाना सीख लिया !! दिलवर ने एकदिन पूँछ लिया  महबूब कहाँ तुम रहते हो? हम दिल में रहते हैं सब के,ये कहने का बहाना सीख लिया !! दिल देते नहीं ले लेते हैं,  काबू में अपने रखते हैं, ता-उम्र हमें तड़पाने का उसने,एक खेल पुराना सीख लिया !! "वीरान" बहुत ये शातिर हैं मासूम से चेहरे वाले ये,  नज़रों से मिला कर वो,नज़रें,कहतें है पिलाना सीख लिया !! 

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