नज़र आते नहीं कहीं

खफ़ा क्यूँ हुए वो, ये हम जानते नहीं.. . उनकी खामोशी का सबब, पहचानते नहीं.. . माना था जिन्हें खुदा की तरह, खयालों में भी हमें वो, जानते नहीं.. . इस भरी दुनिया में, कहाँ तलाश करें, हम उन्हें 'अनम'.. . कदमों के निशाँ भी जिनके नज़र आते नहीं कहीं..

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