तीन बार तलाक बोलने के कायदे में नहीं हो सकता बदलाव!

लखनऊ : आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के साथ संबद्ध संगठनों द्वारा मुस्लिम धर्म में होने वाले तलाक को लेकर हाल ही में अपनी ओर से कहा गया है कि तीन बार तलाक कहने की परंपरा में किसी तरह का बदलाव नहीं किया जा सकता है। यही नहीं संगठनों की ओर से कहा गया है कि कुरान और हदीस के अनुसार एक बार में ही 3 तलाक कह देना एक जुर्म है लेकिन ऐसा करने पर तलाक प्रभावी माना जाता है। इसमें बदलाव नहीं किया जा सकता है। आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना अब्दुल रहीम कुरैशी ने कहा कि इस बारे में जो जानकारियां सामने आ रही हैं उनके अनुसार आॅल इंडिया सुन्नी उलेमा काउंसिल द्वारा बोर्ड के ही साथ देवबंदी और बरेलवी मसलक को पत्र लिखा। 

जिसमें कहा गया कि यदि इस्लामी कानून में संभावना हो तो कोई व्यक्ति एक ही अवसर पर तीन बार तलाक कहे जाने पर उसे एक बार ही माने। दरअसल कई बार लोग क्रोध में तीन बार तलाक की बात कर देते हैं लेकिन गुस्सा शांत हो जाने के बाद पछताते हैं। इस दौरान कहा गया कि पाकिस्तान और अन्य देशों में भी इस तरह की परंपरा होने की बात सामने आती है

मगर फिलहाल इस मामले में किसी तरह का कोई पत्र संबंधित अथाॅरिटी को नहीं मिला है। हालांकि इस मामले में कुरैशी ने यह भी कहा कि किसी भी मुस्लिम राष्ट्र में इस बारे में क्या किया जा रहा है। इससे हमें कोई मतलब नहीं है लेकिन यह देखा जाता है कि कुरान शरीफ, हदीस और सुन्नत क्या कहती है। हालांकि तीन बार तलाक कहने को अच्छा नहीं माना गया है। 

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