वाॅशिंगटन : अमेरिका में इन दिनों चुनाव की आहट साफतौर पर नज़र आ रही है। जहां भारतीय मूल के सांसद बाॅबी जिंदल राष्ट्रपति पद के लिए स्वयं की दावेदारी कर रहे हैं वहीं अब यहां भी धर्म आधारित राजनीति हावी होती नज़र आ रही है। हाल ही में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार की रेस में शामिल बेन कार्सन ने अपील की है कि अमेरिका का नेतृत्व किसी मुसलमान को नहीं सौंपा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे इससे बिल्कुल भी सहमत नहीं हैं। मामले में यह सवाल किया गया कि चुनाव के लिए राष्ट्रपति का धर्म भी महत्व रखता है। ईसाई धर्म में आस्था रखने वाले बेन कार्सन ने कहा कि राष्ट्रपति पद के लिए धर्म के महत्व को इस तरह से देखा जाना चाहिए कि वह किस तरह की आस्था रखता है। वह यदि अमेरिकी मूल्यों और सिद्धांतों से सहमत नहीं है तो यह बहुत महत्वपूर्ण है। मगर जब राष्ट्रपति अमेरिकी मूल्यों और सिद्धांतों से सहमत नहीं है तो यह काफी मायने रखता है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका में दाढ़ी और टोपी या फिर पगड़ी को संदेह की नज़र से देखा जाता है। अमेरिका में हुए 9/11 के आतंकी हमलों के बाद से ही मुस्लिमों को यहां संदेह से देखा जाता है। इसका असर भारतीय मूल के सिखों पर भी पड़ता है। हालांकि अब सिखों को लेकर अमेरिकियों के व्यवहार में काफी बदलाव आने लगा है। मगर अभी भी कहीं कहीं सिखों को परेशानियां झेलना पड़ती हैं।