दो त्यौहारों से मदिरा को लेकर बना असमंजस

मुंबई : इस बार देशवासियों के लिए यह खुशियों की बात है कि ईसाईयों के प्रमुख त्यौहार पर मिलने वाली क्रिसमस की छुट्टियों के साथ उन्हें अन्य अवकाशों का आनंद लेने का अवसर मिलेगा। हालांकि अवकाश मिलने से लोग राहत महसूस करेंगे लेकिन 25 दिसंबर को क्रिसमस का पर्व मनाने वाले ईसाई समुदाय के लोग और मदिरा के चाहने वालों के लिए यह कुछ मुश्किलभरा होगा। 

दरअसल 24 दिसंबर को ईद-ए-मिलाद का पर्व मनाया जाएगा। इस हेतु मुस्लिम धर्मावलंबियों द्वारा शराब के विक्रय पर प्रतिबंध की मांग की गई है। मगर ईसाई समुदाय के अनुयायी इस से खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि क्रिसमस का उत्साह मनाने के लिए क्रिसमस की पूर्व संध्या पर शराब विक्रय को प्रतिबंधित नहीं किया जाना चाहिए। 

ईसाई अनुयायियों का मानना है कि मदिरा का सेवन क्रिसमस पर उत्साहपूर्वक ही नहीं किया जाता है बल्कि यह परंपरा के तौर पर अपनाई जाती है। शराब का सेवन क्रिसमस के पर्व की एक परंपरा है। यह भोग का साधन नहीं है। इस मामले में सबसे ज़्यादा बवाल मुंबई और महाराष्ट्र राज्य के अन्य क्षेत्रों में मचा है। 

दरअसल मुंबई में कई पुराने और नए चर्च हैं। तो दूसरी ओर मुस्लिम समाज के अनुयायियों की भी यहां पर खासी तादाद है। इस मामले में एआईएमआईएम द्वारा विरोध किया जा रहा है। एआईएमआईएम के विधायक वारिस पठान ने बयान देकर कहा कि इस तरह के प्रतिबंध को 24 दिसंबर की आधी रात के बाद हटाया जा सकता है।

इस मामले में ईसाई समुदाय की ओर से कहा गया है कि मुंबई में आधी रात के कार्यक्रम में अधिकांश लोग शामिल नहीं हो पाऐंगे। मगर क्रिसमस की प्रार्थना तड़के ही होगी। रात करीब 11 बजे तक यह प्रार्थना समाप्त हो जाएगी। दूसरी ओर कुछ लोगों का भी मानना है कि यदि शराब विक्रय को प्रतिबंधित कर दिया गया तो क्रिसमस और इसके एक दिन पूर्व की शाम पर असर पड़ सकता है। इस मामले में कांग्रेस ने भी शराब विक्रय पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

एआईएमआईएम द्वारा कांग्रेस का विरोध करते हुए कहा गया है कि कांग्रेस अब इस मामले में विरोध कर रही है। इस मामले को तो एआईएमआईएम द्वारा उठाया जा रहा है। कांग्रेस उसके मसले का लाभ लेने के प्रयास में है।

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