मुसाफ़िर तो चले जाते हैं

रास्तों की तन्हाई का आलम तो यूँ ही हुआ करता है

मुसाफ़िर तो चले जाते हैं और रास्ता है जो; वहीँ ठहरा हुआ रहता है !

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