हर शाम मुझे गम की तस्वीर दिखाई देती है! टूटते अरमानों की लकीर दिखाई देती है! रेत सा बिखर जाता है हसरतों का मंजर, धुन्ध सी मुरादों की ताबीर दिखाई देती है!