मुझसे नाराज़ होकर सब चले गए

मुझसे नाराज़ होकर सब चले गए पूछा भी ना कि मैं नाराज़ क्यों हूँ. अपनी पीड़ा को आंसुओं को तो दिखा दिया ये किसी ने ना समझा कि मैं खामोश क्यों हूँ. रिश्तों की इस हसीन दुनियाँ में सिर्फ पाने की चाह अच्छी नहीं. कभी किसी को देकर भी तुमने देखा है कि ख़ुशी किस कदर बढ़ जाती है . हमें दूसरों से वही मिलता है जो हम दूसरों को देते हैं. मुझसे अविश्वास एवं तिरस्कार पाने वालो तुमने भी तो मुझे सिर्फ यही दिया है. अपनी सफलता को दूसरों से ऐसे बाटों वो सबकी सफलता बन जाए. कहीं ऐसा ना हो तुम्हारा कहा तुम्हारे घमंड का एक रूप बन जाए . घमंड से ईर्ष्या पनपती है जिससे सभी को कष्ट होता है. सद्भावना से कहा गया हर एक कथन सभी को एक माला में पिरोता है.

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