मुझको लोरी सुननी पापा

मुझको लोरी सुननी,पापा मम्मी को घर लेआओ ना मेरी सब बातें बतला दो उसको फोन लगाओ ना जब मेरी बात सुनेगी तो वह जल्दी ही आ जायेगी बहुत प्यार करती मुझको पल भर नहीं रुक पायेगी नहीं खाया जाता है पापा आया के हाथों का खाना वह दिनभर पीक थूकतीहै नहीं छोड़ती गुटखा खाना क्रैच की आंटीतो अच्छी है पर उसकी अपनी बच्ची है उसको जब लाड़लड़ाती है मुझे मम्मी याद आजाती है ( पिता-बेटे से ) बेटा वो लड़कर चली गई गुस्से से बहुत उफनती है अपनी मम्मी के घर में है वोबात मेरी नहीं सुनती है (बेटा-मम्मी से) मम्मी, मुझे क्यों छोड़ गई,? तुम याद बहुत ही आती हो तुम कब ऐसी निर्दयी बनी? जो इतना मुझे रुलाती हो ? नानी के घर क्यों रहती हो अपने घर आ जाओ तुम अपनी ममता का आंचल मुझ पर भी फैलाओ तुम फौरन घर आ जाओ मम्मी मेरी हालत का ख्याल करो तुम बिन सब सूना- सूना है मत मुझे और बदहाल करो आपस में क्यों लड़ते हो तुम छोटी छोटी बातों पर फेरों पर कसमें खाईं थीं तुम साथ रहोगे जीवन भर पापा तो बहुत ही अच्छे हैं मुझे प्यार से खूबखिलाते हैं आइसक्रीम,चाकलेट देते हैं पिज्जा बर्गर घर ले आते हैं पापा बहुत उदास हैं जबसे उन्हें हँसते नहीं देखा मेंने घर अस्त व्यस्त रहता सारा छुप-छुप कर रोते देखा मेंने (बेटा -अदालत में जज से) जज साहब!मुझे येकहना है अकेला नहीं रह सकता मैं मम्मी पापा दोनों ही चाहिए अलगाव नहीं सह सकता मैं मैं नहीं मांगता पिज्जा बर्गर कंम्प्यूटर गेम भी नहीं लेना बस मुझे चाहिए मम्मी पापा मुझको दोनों केसंग ही रहना यदि दोनों साथ नहीं रहते तो बंटबारा कर दो मेरा तन भी आधा आधा दोनों को दे दो कतरा कतरा करदो मन भी सुनकर बेटे की मनो- व्यथा दोनों की करुणा जाग गई आपस का झगड़ा भूल गये आँखों से मानों बरसात हुई (माता पिता -जज साहब से) जज साहब,हमें माफी दे दो अब और नहीं कुछ कहना है हम बेटे को नहीं बंटने देंगे हमको तलाक नहीं लेना है

Related News