मुझे तनहाइयां भाती नहीं हैं। मैं तन्हा हूँ तू क्यों आती नही है। तुझे ना देख लें जबतक ये नज़रें, सुकूं पल भर भी ये पाती नहीं है। गये हो दूर तुम जबसे यहाँ से, बहारें भी यहाँ आती नहीं है। तराने गूंजते थे कल तुम्हारे, वहाँ कोयल भी अब गाती नही है। तुझे अपना बनाना चाहता था, कसक दिल की अभी जाती नही है। शिकायत है यही किस्मत से अपने, मुझे ये तुमसे मिलवाती नही है