होते ही शाम मुझे तन्हाई घेर लेती है! मेरे ख्याल को तेरी जुदाई घेर लेती है! बेनूर नज़र आती हैं महफिलें जमाने की, जिन्द़गी को तेरी रुसवाई घेर लेती है!