मुहब्बत की पनाहो में

मुझे लेते हो जब अपनी मुहब्बत की पनाहों में, ये जादू कैसा तुम करते खिची आती मै बांहों में, ये धड़कन तेज क्यों होती ये सांसे क्यों उखडती है मुझे जब देखते हो तुम निगाहों ही निगाहों में..!!

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