जुरासिक वर्ल्ड - फिल्म रिव्यू

23 साल बाद स्टीवन स्पिलबर्ग एक बार फिर दर्शकों को अपनी बनाई गयी दुनिया दिखाने में बेहद बेहतरीन ढंग से सफल हुए है. उनकी दुनिया में हमे पानी के चश्मे और हरे रंग के मुरब्बे जैसे सीन देखने का अवसर मिला जो रोमांच से भरपूर है. यह फिल्म उनकी उत्कृष्ट कल्पना शक्ति का शानदार परिचायक है.  अमेरिका के बीचो बीच स्थित आईलैंड है 'इस्ला नबलर'.  इस पार्क का संचालन अब सेल्फ-अवेयर तौर पर संचालित किया जाता है.  इस पार्क ने इस बात को भी मान लिया है की 'अब डायनासोर जैसी कोई चीज अस्तित्व में नहीं है".  लेकिन नवीन तकनीक और मॉडर्न वीएफएक्स इस बात को सही स्वीकार नहीं करती है.

फिल्म में विलेन का एक किरदार गड़ा गया है जिसे नाम मिला है एक मॉन्सटर 'इंडोमिनस रेक्स' का. फिल्म में यह समझ नहीं आता की मॉन्स्टर का किरदार एक जेनेटिक मॉडिफाइड क्रिएशन है. भले ही फिल्म के ग्राफिक्स डिपार्टमेंट ने प्रयास यही किया हो लेकिन हम पहले भी ऐसे सीन परदे पर देख चुके है. पिछली कई सालो में ऐसे कई सारे सीन कई फिल्मो में देखने को मिले है. इरफ़ान खान ने अपनी शानदार एक्टिंग से फिल्म में अपने किरदार में जान डाल दी. इरफ़ान का किरदार ही फिल्म में कुछ वास्तविक लगता है.

ब्राइस डल्लास होवॉर्ड ने पार्क मैनेजर की भूमिका अदा की है. वे क्रिस प्रेट के साथ टीम में दिखाई देते हैं.  उनका प्रयास अपने ही महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट को रोकने का होता है. इस फिल्म के कुछ दृशय आपको हस्ते हस्ते लोट पॉट होने पर मजबूर कर देते है. ऐसे ही कुछ दृशय पहले भी 'पिरान्हा 3डी' में दर्शाये जा चुके है.  अंडर वाटर फिल्माए गए सीन आपको फिल्म 'डीप ब्लू सी' में लेकर जायेगे आपको अचानक कई बार शॉर्क की याद भी स्वतः ही आ जायेगी.  इस फिल्म में भी अन्य फिल्मो की तरफ हीरो  है जो सबका मार्दर्शन करता है.  फिल्म में कुछ दृशय 'किंगकांग'  के सामन दिखाई देते है.

ये सही है की कुछ उपन्यास बेहतरीन हो सकते है और उनमे आपको हमेशा कुछ नया मिल सकता है. लेकिन फिल्म निर्माण में जब किसी फ्रेंचाइजी का निर्माण किया जा रहा है तो उसे पूर्व से कुछ भिन्न किया जाना चाहिए .फिल्म में अपने जोनऱ में हमेशा कुछ नवीन बातो को बताना चाहिए यह आवश्यक है. फिल्म को देख कर नन्हा बचा खुश हो सकता है लेकिन युवाओ को हमेशा कुछ नए और बेहतरीन की मांग रहती है.

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