फिल्म रिव्यु : पीकू

अपनी फिल्म विक्की डोनर के बाद निर्देशक शूजित सरकार अपनी एक और फिल्म पीकू के साथ दर्शको का मनोरंजन करने के लिए तैयार है. सुजीत ने पहले विकी डोनर के द्वारा अनोखा संदेश दिया और एक बार फिर से लेखिका जूही चतुर्वेदी के साथ ही फिल्म 'पीकू' लेकर आये है, फिल्म की कहानी - 'पीकू' (दीपिका पादुकोण ) एक कामकाजी लड़की है, जो अपने 70 साल के बाबा भास्कर (अमिताभ बच्चन) के साथ दिल्ली के चितरंजन पार्क में रहती है. जिसने अपने काम के साथ अपने बाबा की देखभाल करते हुए अपनी पूरी जिंदगी बाबा के आस पास न्यौछावर कर दी है.

बाबा, जिन्हें पेट से जुड़ी कुछ समस्या है और इसी समस्या की चर्चा फिल्म में हर जगह होती रहती है. उसी बीच हिमाचल टैक्सी स्टैंड के मालिक राजा चौधरी (इरफान खान) की इस बनर्जी फैमिली में एंट्री होती रहती है और फिर शुरू हो जाती है दिल्ली से कोलकाता की यात्रा और कोलकाता में जाकर फिल्म ख़त्म हो जाती है. डायरेक्टर शूजित सरकार की ये फिल्म थोड़े अलग तरह से विकी डोनर जैसा फ्लेवर देती है. जूही चतुर्वेदी की पटकथा और संवाद इतने बेहतरीन हैं कि फिल्म के किरदार जब भी स्क्रीन पर आते हैं, तो बस देखते ही रहने का मन करता है.

सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने एक बार फिर से यह बता दिया कि क्यों उन्हें लिविंग लीजेंड कहते हैं. 70 साल के बंगाली किरदार को अमित जी ने जीवंत कर दिया है. एक-एक संवाद सुनकर ऐसा बिल्कुल नहीं लगता की वो पात्र पूरी तरह से बंगाली नहीं है. चाहे वो 'जोंजाल' हो या 'डिस्कास', अमिताभ ने हरेक फ्रेम को सजीव बनाने में कोई कसार नहीं छोड़ी है. इरफान खान ने अपनी अभिनय की कला का प्रदर्शन किया है, जिसमें एक आशिक के साथ-साथ एल बेहद ही संजीदा इंसान छुपा हुआ है और वो आपको कार के भीतर और बाहर दोनों तरफ मुस्कुराने पर मजबूर कर देता है. कभी-कभी तो हंसी को रोक पाना मुश्किल हो जाता है.

दीपिका पादुकोण ने यह साबित कर दिया कि उन्हें क्यों न.1 अभिनेत्री कहा जाता है. पहले फ्रेम से आखिर तक दीपिका ने हरेक सीन को इतने बखूबी तरीके से निभाया है कि आपको वो अपने आस-पास की करीबी दोस्त लगने लगती है. हर फिल्म के साथ दीपिका का रुतबा और भी बढ़ता जा रहा है. इस फिल्म में भी उनकी एक्टिंग सराहनीय है. फिल्म में डॉक्टर के रूप में रघुबीर यादव और मौसी के किरदार में मौशमी चटर्जी ने चार चांद लगा दिए हैं. शूजित ने छोटे-छोटे वाकयों को बहुत ही उच्च तरीके से सजाया है. आपको इस फिल्म में दिल्ली, कोलकाता और वाराणसी का बहुत फ्लेवर मिलेगा.

 

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