हथेली पर दही शकर रखकर आशीर्वाद देती है मां

दफ्तर में सोनिया अपना कार्य कर काॅफी का मग हाथ में लिए कुछ बैठी ही थी कि उसे उसकी मां और उसके दफ्तर जाने की यादें आ गईं. दफ्तर जाने के लिए जल्दी-जल्दी तैयार होकर जाना और फिर मां द्वारा उसका लंच बाॅक्स तैयार कर उसे वह थमाना. कई बार उसकी ड्रेस पर इस्त्री न होने पर मां द्वारा इस्त्री करना और एक्ज़ाम के दिनों में एक्ज़ाम देने जाने से पहले हथेली पर दही शकर रखकर शांत मन से प्रश्न हल करने की सलाह देना उसे याद आ जाता. अब वह सोचती है तो उसे लगता है मां के बिना उसका जीवन जैसे अधूरा है।

मां नहीं होती तो वह कुछ भी नहीं कर पाती. जी हां इस संडे फुर्सत के पलों में आप भी इस तरह से सोचने पर मजबूर हो जाऐंगी. जी हां मदर्स डे जो है।  एक ऐसा दिन. जो कि केवल मां के लिए समर्पित होता हैं। इस दिन विश्वभर में मातृ शक्ति को नमन किया जा रहा हो. आखिर कैसा होता है ऐसा अहसास। यूं तो भारत में माता-पिता के लिए कोई एक दिन निश्चित नहीं है लेकिन बदलती जीवन शैली और आधुनिक मान्यताओं के चलते वैश्विक स्तर पर मनाए जाने वाले इस दिन को भारत में भी मनाया जाता है।

यह दिन उस सभी मांओं को समर्पित है जिन्होंने अपना पूरा जीवन अपनी संतानों के लिए समर्पित कर दिया. वैसे हर मां अपनी संतान के लिए बेहतर कार्य ही करती है मां का प्रयास होता है कि उसकी संतान बेहद खुश रहे और उसे कहीं भी मुश्किल न हो. ऐसे में मां अपनी संतान को सीढ़ी दर सीढ़ी वह सब सीखाती चली जाती है जो उसके लिए बेहद आवश्यक है।

मां के लिए कितने ही कसीदे गढ़े जाऐं कितने ही अल्फाज़ कहें जाऐं सब कम लगते हैं. माता ही बच्चे की प्रथम गुरू होती है और भारत में गुरू का स्थान गोविंद से भी अधिक महत्वपूर्ण है. वही बच्चे को अच्छे- बुरे की और अन्य संबंधियों की पहचान करवाती है. वह न हो तो व्यक्ति महामानवों के मेले में केवल भटकता ही रह जाएगा। 

'लव गडकरी'

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