मौसम कितना सुहाना रहा

सुबह का मौसम कितना सुहाना रहा पशु पंछियों की मस्ती का दिवाना रहा . अनेक पंछियों की कलरव ध्वनि गूँजी कोयल की कूक का सुन्दर तराना रहा . आम्र बागों के पास मँडरा रहे हैं बच्चे आम पाकर बच्चों का शोर मचाना रहा . बचपन की यादें हो गयी हैं तरोताजा अपने बचपन का ऐसा अफसाना रहा . शहरों में घरों में कैद रहते सभी बच्चे बच्चों में अब नही वो बचकाना रहा . बच्चों की दुनिया भी बदली है तेजी से अब तलैयों में तैरकर नही नहाना रहा . छुट्टी का दिन बीतते पता नही चलता कभी लड़ गये कभी मिलकर खाना रहा . कबड्डी और गुल्ली डण्डा खेल खेलते  कंचे पर कंचे से निशाना लगाना रहा . दिवाली के दिन तो सब दिये लूट लेते  दिये से बने तराजू से धूल तौलाना रहा . बारिश में भीगने में आता था बहुत मजा दूसरों को भींगने के लिए उकसाना रहा . अपनी नावें चलती बारिश की दरिया में कागज केे टुकड़ों से नौकाएँ बनाना रहा . अब तो बच्चों की दुनिया बदली 'प्रकाश' निश्चिन्त बचपन का नही वो जमाना रहा

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