नई दिल्ली : लोकप्रिय संत और श्रीरामकथा वाचक संत मोरारी बापू ने हाल ही में कहा है कि कुछ लोगों ने धर्म को बाजार बनाने का प्रयास किया है। मोरारी बापू ने एक समाचार चैनल से चर्चा में यह स्वीकार किया और कहा कि संतों ने धर्म को बाजारू बना दिया है। उनका कहना था कि जिस व्यक्ति में धन, पद और प्रतिष्ठा प्राप्त करने की चाहत हो वह संत नहीं बन सकता है। लोगों को अपनी श्रद्धा पर विश्वास होता है। व्यक्ति के निद्रा में जाने के बाद भी इंसान जीवित होता है। श्रद्धा बहुत महत्वपूर्ण है। यही जीवन की पौषक है। उन्होंने रामायण पर चर्चा करते हुए कहा कि मानव कैसा भी हो उसकी व्याख्या करते हुए कहा गया कि जैसी भी भावना मानव की हो वह वैसा हो जाता है। उनका कहना था कि उनकी व्यासपीठ 33 प्रतिशत सफल रही। रामकथा में 30 से 35 प्रतिशत युवा रहते हैं यही उनकी सफलता है। संत मोरारीबापू द्वारा कहा गया कि वे कोई मंडल, संस्था या फिर अपने स्थायी अनुयायी नहीं बनाते हैं।