मौहब्बत क्या है

बेहद शिद्दत से... सम्भाला था... दिल को अपनें...! उसके एहसास ने इस दिल... को जता दिया ॥ इश्क़ होना भी... इक ज़रूरत है... पता ना था...! मौहब्बत क्या है... ये क़रीबी... से बता दिया ॥ जो रही तन्हाई... कभी मेरे क़रीब... तो तूने मूझे...! इश्क़ में जीना... कुछ यूंही... बस सीखा दिया ॥ मेरी वफ़ाओं को... अपनें दामन में... रहने के लिये...! एहसास तेरे... होने का मूझे... हर दफ़ा दिया ॥

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