पत्नी से जबरदस्ती सम्बन्ध बनाना कहला सकता है रेप

दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय में कल मैरिटल रेप को लेकर दायर याचिकाओं पर सुनवाई हुई, इस दौरान याचिका करने वाले संगठन कोर्ट में मौजूद थे. कोर्ट ने ये तर्क दिया कि किसी भी कृत्य को सिर्फ इसलिए अपराध की श्रेणी में नहीं लाने के पीछे ये तर्क कतई नहीं हो सकता कि  उस कानून का दुरूपयोग होगा. 

हाल ही में केंद्र सरकार ने अपनी बात रखते हुए ये तर्क दिया था कि  इस तरह का कानून बनने से हो सकता है, महिलाएं इसका गलत उपयोग करें. केंद्र सरकार के इस पक्ष के बाद से कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ कि इस टिप्पणी का महत्त्व और बढ़ जाता है. 

एनजीओ आरआईटी फाउन्डेशन और ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमन्स एसोसिएशंस की अधिवक्ता करुणा नंदी ने अदालत से कहा कि महिलाएं झूठी शिकायतें दर्ज करा सकती हैं, लेकिन इस तरह के मामले विरले हैं. कोर्ट ने याचिकाकर्ता कि बात से सहमत होते हुए कहा की "किसी कृत्य को अपराध की श्रेणी में लाया जाए अथवा नहीं" के लिए दुरूपयोग जैसी दलीलें मान्य नहीं हो सकती.

नागरिक समाज के संगठनों ने अपनी दलील में कहा कि भारत में एक साल में मैरिटल रेप के दो करोड़ केस आते है, पड़ोसी देश पाकिस्तान और भूटान पहले ही इस तरह का कानून पास कर चुके तथा श्रीलंका की सरकार ने इस तरह के एक प्रस्ताव को आगे बढ़ा दिया है.

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