कैंसर को लेकर भ्रांतिया और आम मिथक

देश और दुनिया में आम लोगों के बीच में कैंसर के बारे में कई तरह के मिथक है जिन्हे दूर करना जरुरी है और जागरूकता के जरिये इन पर नियंत्रण और वास्तविक तथ्यों की जानकारी का होना भी बेहद महत्वपूर्ण है. आप भी समझिये और समझाइये. 

आमतौर पर लोग ये सोचते हैं कि कैंसर के ऊत्तक केवल स्वास्थ्य का मसला होता है जबकि ऐसा नहीं होता. सामान्य लोग समझते हैं कि कैंसर धनवान और उम्रदराज़ लोगों की बीमारी है जबकि ये एक वैश्विक और संक्रामक रोग है जो सभी उम्र के लोगों को हो सकता है. आमजन को लगता है कि कैंसर से पीड़ित होना मतलब ये एक सजा के समान है लेकिन अब ज्यादातर कैंसर उपचार योग्य है. आम लोगों को लगता है कि कैंसर उनकी किस्मत में था जबकि 30% मामलों में इसे पूरे जीवन भर के लिये ठीक और रोका जा सकता है.

विश्व कैंसर दिवस हर वर्ष कुछ विशेष थीम पर मनाया जाता है; कुछ वर्षों के थीम को यहाँ नीचे दिया जा रहा है: 2007 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “बच्चों का आज, दुनिया का कल”. 2008 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “बच्चों और युवाओं को एक धुआँ-मुक्त पर्यावरण दो”. 2009 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “मैं अपने स्वस्थ सक्रिय बचपन से प्यार करता हूँ”. 2010 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “कलेजे के कैंसर से संबंधित वायरस से रोकथाम के लिये टीकाकरण”. 2011 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “ धूप से बचने के उपाय के द्वारा बच्चों और युवाओं को शिक्षा”. 2012 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “एकसाथ ये मुमकिन है”. 2013 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “कैंसर- क्या आप जानते थे ?”. 2014 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “मिथकों का भंडाफोड़ करना”. 2015 के विश्व कैंसर दिवस का थीम था “हमारे सीमाओं के बाहर नहीं है”. 2016 के विश्व कैंसर दिवस का थीम है “हम कर सकते हैं। मै कर सकता हूँ.''

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