निः संतान दम्पतियों के लिए चमत्कारिक गौरी रुद्राक्ष

रूद्राक्ष अनेक मुखों वाले और कुछ विशिष्ट प्रकार के होते हैं. उन्हीं विशिष्ट रूद्राक्षों में से एक है गर्भ गौरी रूद्राक्ष. इसे गणेश गौरी रूद्राक्ष भी कहते है. इसमें दो रूद्राक्ष आपस में जुड़े हुए होते हैं, जिनमें एक बड़ा और एक छोटा होता है बड़ा रूद्राक्ष माता पार्वती और छोटा रूद्राक्ष उनके पुत्र गणेश का प्रतीक है.

गर्भ गौरी रूद्राक्ष के लाभ : यह रुद्राक्ष उन दंपतियों के लिए चमत्कार है जिन्हें अब तक संतान सुख नहीं मिला है. इस रूद्राक्ष को नि:संतान स्त्री धारण करे तो वह जल्द ही माता बन सकती है.साथ ही इसे धारण करने से गर्भवती स्त्री की प्रसूति भी आसान होती है .गर्भ गौरी रुद्राक्ष को गले में धारण करने से मन में सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और मन खुश रहता है. गर्भाधान में देरी या कोई समस्या आ रही है तो गर्भ गौरी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए. इस रूद्राक्ष को धारण करने से गर्भपात का खतरा नहीं रहता. उसकी प्रसूति भी आराम से हो जाती है. जिन लोगों की कुंडली में राहु-केतु पीड़ा दे रहे हों उन्हें भी यह रूद्राक्ष पहनना चाहिए.

पहनने की विधि : 'गर्भ गौरी रूद्राक्ष' को सोमवार को पहना जाता है. इसे पहले गंगाजल से अच्छी तरह धो लें. फिर पूजा स्थान में लाल कपड़ा बिछाकर इसे रखें और चंदन का तिलक रूद्राक्ष को लगाएं. धूप और अगरबत्ती पश्चात् रूद्राक्ष पर सफेद रंग के पुष्प अर्पित करें. इसके बाद रुद्राक्ष को दाएं हाथ में लेकर ऊं नम: शिवाय मंत्र की एक माला जाप करें. इसके बाद रूद्राक्ष को शिवलिंग से स्पर्श करवाकर धारण कर लें. इसे चांदी की चेन या लाल धागे में गले में पहना जा सकता है.

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