किन सजाओं तक मेरी खता मुझे ले जायेगी और कितनी दूर तक मेरी वफ़ा मुझे ले जायेगी मुझे अपने रास्ते का इल्म है अच्छी तरह क्यों कहीं मुझको कोई पागल हवा ले जायेगी मैं तो अपनी कोशिशों से जाऊंगा जंगल के पार आपको उस पार क्या दुआ ले जायेगी जिंदगी जब जब आएगी दहलीज पर मेरी मांगकर वो मुझसे थोडा हौसला ले जायेगी