मेरी आँख झिलमिला रही

बनकर साया क्यों चल रहे, मेरे कौन तुम अजीज़ हो..! मेरे हमनशीं,मेरे हम सफर,या रकीब तुम नसीब हो..!! मेरे साथ देख कर तुम्हें, सभी घूरते हैं क्यों हमें, गले लग के फुसफुसा रहे,कितने यार खुशनसीब हो..!! खुद बुदबुदाते लब मेरे, कभी गुदगुदाती धड़कनें, मेरी साँस भी महक रही.,आये जब से तुम करीब हो..!! पलकें हुईं बोझिल मेरी, मेरी आँख झिलमिला रही, होता नहीं क्या कुछ तुम्हें,बड़े लगते तुम अजीब हो..!! मुझे करवटें लगती भली, मेरी रूह गुनगुनानें लगी, मेरी नींद तुम "वीरान" हो.,मेरे ख्वाब तुम हबीब हो..!!

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