मुख्यमंत्री का इंतजार करता रहा शहीदों का शव, नहीं पहुंची महबूबा

श्रीनगर : आने वाले सोमवार को पूरा देश आजादी का जश्न मनाने वाला है, लेकिन जो जवान दिन-रात बिना जान की परवाह किए हमें महफूज रखते है, हम उन्हें ही सम्मान नहीं दे पा रहे है। श्रीनगर में बीते दिनों हुए मुठभेड़ में सीमा सुरक्षा बल के तीन जवान शहीद हो गए थे। इन जवानों के पार्थिव शरीर को भी अंतिम विदाई के लिए इंतजार करना पड़ा।

जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती तय कार्यक्रम के बावजूद श्रद्धांजलि देने नहीं पहुंची। जम्मू के डीजीपी पहुंचे भी तो घंटो देर से। सोमवार को एलओसी के माछिल सेक्टर में हुए एनकाउंटर में ये जवान शहीद हो गए थे। मंगलवार को सुबह 10.30 बजे श्रीनगर में इनकी अंतिम विदाई के लिए वक्त तय किया गया था।

महबूबा ने दोपहर के 12 बजे श्रद्धांजलि देने के लिए आने का समय निर्धारित किया था। पहले तो पहुंची नहीं और बाद में खबर आई कि वो व्यस्त है, इसलिए वो नहीं आ सकेंगी। घाटी में सेना के कोर कमांडर और डीजीपी भी यहां घंटों देरी से पहुंचे। इस दौरान सलामी दस्ते के जवान इंतजार करते रहे।

ऐसी लेट लतीफी तब हुई, जबकि सलामी के ठीक बाद शहीद जवानों के पार्थिव शरीर को उनके घर भेजा जाना था। बीएसएफ के स्पेशल डीजी तो यहां तब पहुंचे, जब शहीदों के शवों को उनके घर भेजा जा चुका था।

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