कमाने से पहले हम बचाना सीखें कुछ इस तरह से --

मेरा नाम रोहित है. मैं दिल्‍ली का रहने वाला हूं. यहां मैं आपसे अपने पापा से मिली एक सीख साझा कर रहा हूं. दशहरे का दिन था, यूं तो हर साल दशहरा आता लेकिन इस बार खास इसलिए था क्योंकि मेरी नौकरी लगी थी. नई नौकरी और पहली सैलरी मिलने की खुशी में मैं सबके लिए तोहफे लेकर अाया. सभी बहुत खुश थे, लेकिन मेरे पापा थोड़े चुप से बैठे थे. मैंने पूछा भी तो कोई नहीं बोले.

फिर शाम हुई और हम सब दशहरा देखने गए. घर आकर खाना खाया और सोने चले गए. तभी मेरे कमरे में पापा आए और पूछा सो गए हो. मैं उठकर बैठ गया और पूछा क्‍या हुआ पापा? तब बोले ये बताओ कैसा लगा पहली सैलरी कमाकर. मैनें बहुत खुशी से बताया पापा मैं बहुत खुश हूं. फिर बोले ये बताओ कितने पैसे बचे? मैं रुका अौर बोला पैसे तो सारे खत्‍म कर दिए. तब पापा थोड़ी देर चुप रहे और बोले, बेटा पैसे खर्च करना अच्‍छी बात है लेकिन ये मत भूलो कि अपनी कमाई बचाना बेहद जरूरी है. हमेशा अपनी सैलरी का 10 फीसदी बचाओ.

थोड़ी देर बाद पापा चले गए, लेकिन मैं जागता रहा. इस बात को आज तकरीबन पांच साल बीत गए लेकिन आज भी मैं उनके कहे पर चल रहा हूं और मैंने अपनी अच्‍छी सेविंग भी कर ली है.

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