आज मकर संक्रांति पर अपनों को भेजे यह प्यारभरी शायरियां

आज मकर संक्रांति का पर्व है और इस पर्व पर लोग अपने अपनों को इस दिन की बधाई देते हैं। इस दिन पतंग उड़ाने का रिवाज है। अब आज हम आपके लिए लेकर आए हैं पतंग से जुडी शायरियां जो आज आप अपने अपनों को भेजकर मकर संक्रांति की बधाइयां दे सकते हैं।

1. हमने तेरी मोहब्बत आज इस जहां को दिखला दी,

नाम लिखकर पतंग पे तेरा आसमां में उड़ा दी।

2. आसमां में उड़ती एक पतंग दिखाई दी,

आज फिर मुझको तेरी मोहब्बत दिखाई दी...

3. डोरी, पतंग, चरखी सब लिए बैठा हूं,

इंतजार है उस हवा का, जो तेरी छत की ओर चले।

4. छज्जे से अटकी थी वो पतंग, हल्ला मोहल्ले में था,

एक मांझे की डोर टूटी थी और ये किस्सा बचपन में था।

5. मेरी पतंग भी तुम हो,

उसकी ढील भी तुम।

मेरी पतंग जहां कटकर गिरे,

वह मंज़िल भी तुम।

  6. मन के हर ज़ज़्बात को,

तस्वीर रंगों से बोलती है,

अरमानों के आकाश पर पतंग बेखौफ़ डोलती है।

7. हर पतंग जानती है आखिर नीचे आना है,

लेकिन उससे पहले आसमान छूकर दिखाना है।

8. कटी पतंग का रुख तो था मेरे घर की तरफ,

मगर उसे भी लूट लिया ऊंचे मकान वालों ने।

9. मोहब्बत एक कटी पतंग है साहब,

गिरती वहीं है जिसकी छत बड़ी होती है।

10. सारी दुनिया को भुला के रूह को मेरे संग कर दो,

मेरे धागे से बंध जाओ, खुद को पतंग कर दो।

11. डोर, चरखी, पतंग सब कुछ था,

बस उसके घर की तरफ हवा न चली।

12. पतंग कट भी जाए मेरी तो कोई परवाह नहीं,

आरज़ू बस ये है कि उसकी छत पर जा गिरे।

13. मुझे मालूम है उड़ती पतंगों की रवायत,

गले मिलकर गला काटूं मैं वो मांझा नहीं।

14. एक ही समानता है पतंग और ज़िंदगी में,

ऊंचाई में हो, तब तक ही वाह-वाह होती है।

15. जब तक है डोर हाथ में, तब तक का खेल है,

देखी तो होंगी तुमने पतंगें कटी हुईं।

16. प्रेम की पतंग उड़ाना नफरत के पेंच काटना,

मांझे जितना लंबा रिश्ता बढ़ाना,दिल से इसे निभाना।

17. मोहब्बत की हवाओं में इश्क की पतंग हम भी उड़ाया करते थे,

वक्त गुजरता रहा और धागे उलझते रहे।

18. ख़त्म होती हुई एक शाम अधूरी थी बहुत,

संक्रांति से मुलाक़ात ज़रूरी थी बहुत।

19. अपनी कमजोरियों का जिक्र कभी न करना जमाने में

लोग कटी पतंग को जमकर लूटा करते हैं...

20. मीठे गुड में मिल गए तिल

उड़ी पतंग और खिल गए दिल

21.जो जितना जमीन से जुड़ेगा उतना ही ऊपर उड़ेगा।

मकर संक्रांति के दिन ही भीष्म पितामह ने त्यागी थी देह

आखिर क्यों मकर संक्रांति पर किया जाता है गंगासागर में स्नान, जानिए कथा

हरिद्वार से प्रयागराज तक.. जानिए मकर संक्रांति पर गंगा स्नान को लेकर क्या हैं नियम ?

Related News