महाअष्टमी को करे महा गौरी की पूजा

महागौरी की पूजा नवरात्र के अष्टमी तिथि को किया जाता है. मां महागौरी ने अपने पूर्व जन्म में भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिसके कारण इनके शरीर का रंग एकदम काला पड़ गया था. तब मां की भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं शिवजी ने इनके शरीर को गंगाजी के पवित्र जल से धोया, जिससे इनका कान्तिमान और गौर वर्ण का हो गया और उसी कारणवश माता का नाम महागौरी पड़ा. इनकी चार भुजाएं हैं,

जिनमें एक हाथ में त्रिशूल है, दूसरे हाथ से अभय मुद्रा में हैं, तीसरे हाथ में डमरू  है और चौथा हाथ वर मुद्रा में है. इनका वाहन वृष है. भक्ति और श्रद्धा पूर्वक माता की पूजा करने से भक्त के घर में सुख-शांति बनी रहती है और उसके यहां माता अन्नपूर्णा स्वरुप होती है. इस दिन माता की पूजा में कन्या पूजन और उनके सम्मान का  विधान है.   श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः  महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददा

माँ का ये रूप दुष्टो को समाप्त करके भक्तो पर कृपा करने वाला है .सुहागन स्त्रियां अगर महा गौरी की पूजा सच्चे मन और विश्वास के साथ करती है तो माता उन पर विशेष कृपा करती है .

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