मद्रास उच्च न्यायलय ने की पानी में मूर्ति विसर्जन की निंदा

चेन्नई : मद्रास हाइकोर्ट ने पूजा के बाद प्रतिमाओं को नदी-तालाब में विसर्जित किए जाने की प्रथा की निंदा की है। न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि यह पारिस्थितिकी तंत्र को प्रदूषित करती है और यह मछली एवं चिड़ियों के लिए खतरा बनती जा रही है। अदालत ने इसे पानी के प्रति ‘गंवार रवैया’ करार दिया और कहा कि इसे अब खत्म कर देना चाहिए।

न्यायाधीश एस वैद्यनाथन ने ये टिप्पणी पिछले महीने ‘गणेश चतुर्थी’ में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुए संघर्ष व हत्या के प्रयासों के आरोपी दो लोगों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

मूर्ति बनाने के हर स्तर पर पर्यावरण कानून को लागू करना एक अत्यंत कठिन काम है, इसके लिए न्यायाधीश ने सलाह दी, कि त्योहार के दौरान मूर्तियों के विसर्जन के लिए विशिष्ट क्षेत्रों में कृत्रिम तालाबों का निर्माण किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से जलाश्यों में प्रदूषण को समाप्त करने का यह एक कारगर तरीका साबित होगा।’

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